7वीं भारत-इंडोनेशिया संयुक्त रक्षा सहयोग समिति की बैठक नई दिल्ली में आयोजित
भारत के रक्षा सचिव गिरिधर अरामाने और इंडोनेशिया के रक्षा मंत्रालय के महासचिव, एयर मार्शल डोनी एर्मवान तौफांटो ने 3 मई, 2024 को नई दिल्ली में 7वीं भारत-इंडोनेशिया संयुक्त रक्षा सहयोग समिति (JDCC) की बैठक की सह-अध्यक्षता की है।
7वीं बैठक के मुख्य बिंदु
- बैठक के दौरान, दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और रक्षा उद्योग पर विचार-विमर्श किया गया।
- द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पहलों पर हुई प्रगति की भी दोनों सह-अध्यक्षों द्वारा समीक्षा की गई।
- इसके अतिरिक्त विशेष रूप से रक्षा उद्योग संबंधों, समुद्री सुरक्षा और बहुपक्षीय सहयोग के क्षेत्रों में सहयोग के मौजूदा क्षेत्रों को बेहतर करने के उपायों की पहचान की गई।
एयर मार्शल डोनी एर्मवान तौफांटो की भारत यात्रा
- तौफांटो 2 मई, 2024 को भारत की यात्रा पर रहे हैं। उन्होंने नई दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीद नायकों को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
- यात्रा के दौरान तौफांटो ने नई दिल्ली में DRDO मुख्यालय के साथ-साथ पुणे में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और एलएंडटी रक्षा प्रतिष्ठानों का दौरा किया।
- उन्होंने भारत फोर्ज, महिंद्रा डिफेंस और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड जैसे भारतीय रक्षा उद्योग साझेदारों के साथ भी विचार-विमर्श किया।
- अनुसंधान एवं संयुक्त उत्पादन में सहयोग के जरिए रक्षा औद्योगिक क्षमताओं को बेहतर बनाने के तरीकों पर चर्चा की।
भारत और इंडोनेशिया के बीच संबंध
- दोनों देश आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक रूप से एक-दूसरे के महत्वपूर्ण साझेदार हैं।
- वर्ष 2005 में दोनों देशों ने एक रणनीतिक साझेदारी स्थापित की, जिससे आर्थिक, सुरक्षा और सांस्कृतिक सहयोग बढ़ा। वर्तमान में इस भागीदारी की विशेषता द्वि-पक्षीय और बहु-पक्षीय क्षेत्रों में नजदीकी सहयोग है, जिसमें अक्सर होने वाली उच्च-स्तरीय बातचीत भी शामिल है। इंडोनेशिया, भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भागीदार है।
- भारत और इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंध मजबूत हैं। इंडोनेशिया भारत का बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- इंडोनेशिया भारत को कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस आपूर्ति करने वाला एक प्रमुख स्रोत है। दोनों देश ऊर्जा क्षेत्र में भी सहयोग करते हैं।
- भारत और इंडोनेशिया के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ रहा है, जिसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास और हथियार खरीद शामिल हैं।
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