2023-24 में कार्गो प्रबंधन के मामले में भारत के प्रमुख बंदरगाहों में ‘पारादीप’ शीर्ष पर

पारादीप बंदरगाह कार्गो प्रबंधन के मामले में वित्त वर्ष 2023-24 में भारत के प्रमुख बंदरगाहों में शीर्ष पर रहा है। 

वित्त वर्ष 2023-24 में, पारादीप बंदरगाह भारत के प्रमुख बंदरगाहों में कार्गो प्रबंधन के मामले में शीर्ष पर रहा है। 

कार्गो प्रबंधन 2023-24 में पारादीप बंदरगाह देश में शीर्ष पर

  • यह बंदरगाह अपने 56 साल के इतिहास में पहली बार दीनदयाल बंदरगाह द्वारा निर्धारित पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए 145.38 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो का प्रबंधन करने में सफल रहा है। साल-दर-साल के आधार पर, बंदरगाह ने 10.02 मिलियन मीट्रिक टन (7.4 प्रतिशत) की वृद्धि दर्ज की है।
  • वित्तीय वर्ष के दौरान, पारादीप बंदरगाह ने अब तक के अधिकतम 59.19 मिलियन मीट्रिक टन का तटीय नौवहन यातायात हासिल किया है। थर्मल कोयले का तटीय नौवहन 43.97 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.02 प्रतिशत अधिक है। इस प्रकार, पारादीप बंदरगाह देश में तटीय नौवहन के केंद्र के रूप में उभर रहा है।
  • बंदरगाह ने अपनी बर्थ उत्पादकता में भी 6.33 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है और यह देश के सभी बंदरगाहों में सबसे अधिक है। विभिन्न प्रणालीगत सुधारों की बदौलत, बंदरगाह ने कार्गो हैंडलिंग में भी बेहतर प्रदर्शन किया है।
  • वित्तीय वर्ष के दौरान, बंदरगाह के परिचालन राजस्व, परिचालन अधिशेष, कर पूर्व शुद्ध अधिशेष और कर पश्चात शुद्ध अधिशेष में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। परिचालन अनुपात भी पिछले वर्ष की तुलना में सुधरकर 36 प्रतिशत हो गया है।
  • आने वाले वर्षों में, पारादीप बंदरगाह अपनी क्षमता और सुविधाओं का और विस्तार करने की योजना बना रहा है। वेस्टर्न डॉक परियोजना के चालू होने के बाद, बंदरगाह की क्षमता 300 मिलियन मीट्रिक टन तक बढ़ जाएगी। साथ ही, बंदरगाह अपने बर्थों को 100 प्रतिशत मशीनीकृत करने और अन्य बर्थ जोड़ने की योजना भी बना रहा है।
  • बंदरगाह कनेक्टिविटी में सुधार के लिए सड़क फ्लाईओवर का निर्माण कर रहा है और विभिन्न उद्योगों को भूमि आवंटित करके औद्योगीकरण को बढ़ावा दे रहा है। साथ ही, पारादीप बंदरगाह पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी प्रतिबद्ध है और वृक्षारोपण, नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों और हरित ईंधन स्टेशनों के विकास की योजना बना रहा है।

पारादीप बंदरगाह के बारे में 

पारादीप बंदरगाह ओडिशा राज्य के जगतसिंहपुर ज़िले में स्थित एक प्रमुख बंदरगाह है। पारादीप बंदरगाह भारत के महत्वपूर्ण बंदरगाहों में से एक है और यह देश के पूर्वी क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण नौवहन गलियारा है।

  • स्थापना: पारादीप बंदरगाह की स्थापना 1960 के दशक में की गई थी और इसका परिचालन वर्ष 1966 में शुरू हुआ।
  • स्थान: यह बंदरगाह बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है और इसकी स्थिति भारत के पूर्वी तट पर केंद्रित औद्योगिक क्षेत्रों के लिए अनुकूल है।
  • प्रबंधन: पारादीप बंदरगाह का प्रबंधन पारादीप पोर्ट ट्रस्ट द्वारा किया जाता है, जो भारत सरकार के नौवहन मंत्रालय के अधीन है।
  • बुनियादी ढांचा: बंदरगाह में कुल 22 बर्थ हैं, जिनमें से अधिकांश को मशीनीकृत किया गया है। इसमें से 18 बर्थ को थर्मल कोयला हैंडलिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • कार्गो प्रबंधन: पारादीप बंदरगाह का मुख्य कार्गो थर्मल कोयला है, लेकिन यह विभिन्न अन्य वस्तुओं जैसे लौह अयस्क, जनरल कार्गो और कंटेनरों का भी प्रबंधन करता है।
  • क्षमता: वर्तमान में बंदरगाह की वार्षिक रेटेड क्षमता लगभग 289 मिलियन मीट्रिक टन है।
  • कनेक्टिविटी: बंदरगाह रेल और सड़क नेटवर्क से जुड़ा हुआ है, जो आसानी से आवागमन को सुगम बनाता है।
  • विकास योजनाएं: पारादीप बंदरगाह के पास विस्तार और नवीनीकरण की कई योजनाएं हैं, जिनमें पश्चिमी डॉक परियोजना, अतिरिक्त बर्थों का निर्माण और मशीनीकरण शामिल हैं।
  • पर्यावरण मुद्दे: बंदरगाह वृक्षारोपण और हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

दीनदयाल बंदरगाह के बारे में 

दीनदयाल बंदरगाह (पूर्व में कांडला बंदरगाह के नाम से जाना जाता था) गुजरात राज्य के कच्छ जिले में स्थित एक प्रमुख समुद्री बंदरगाह है। दीनदयाल बंदरगाह भारत का एक प्रमुख बंदरगाह है जो देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कार्गो आवागमन के लिए एक महत्वपूर्ण नोडल बिंदु है।

  • स्थापना: दीनदयाल बंदरगाह की स्थापना वर्ष 1955 में हुई थी और यह भारत के प्रारंभिक बंदरगाहों में से एक है।
  • स्थान: यह बंदरगाह अरब सागर के किनारे स्थित है और यह देश के पश्चिमी तट पर बड़े पैमाने पर आर्थिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में कार्य करता है।
  • बुनियादी ढांचा: बंदरगाह में कुल 16 बर्थ, 2 ऑयल जेटी और एक एलएनजी टर्मिनल शामिल है। इसकी कुल बर्थ लंबाई लगभग 14 किलोमीटर है।
  • कार्गो प्रबंधन: दीनदयाल बंदरगाह कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट, कंटेनर और तरल कार्गो जैसे विभिन्न प्रकार के बल्क और विशिष्ट कार्गो का प्रबंधन करता है।
  • क्षमता: वर्तमान में बंदरगाह की वार्षिक रेटेड क्षमता लगभग 121 मिलियन टन है।
  • रेल और सड़क कनेक्टिविटी: बंदरगाह रेल और सड़क नेटवर्क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, जिससे भारतीय मानव बंदरगाह से आसानी से कनेक्ट हो सकता है।
  • विदेशी मुद्रा अर्जन: यह बंदरगाह प्रति वर्ष लगभग 100 अरब रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।
  • नामकरण: वर्ष 2017 में, कांडला बंदरगाह का नाम बदलकर दीनदयाल बंदरगाह कर दिया गया, जो भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखा गया था।
  • प्रबंधन: दीनदयाल बंदरगाह का प्रबंधन दीनदयाल पोर्ट ट्रस्ट द्वारा किया जाता है, जो भारत सरकार के नौवहन मंत्रालय के अधीन है।

FAQs

वित्त वर्ष 2023-24 में कार्गो प्रबंधन के मामले में कौनसा बंदरगाह भारत में शीर्ष पर रहा है?

पारादीप बंदरगाह

पारादीप बंदरगाह, ओडिशा राज्य के किस जिलें में स्थित है?

जगतसिंहपुर ज़िले

पारादीप बंदरगाह का परिचालन कब शुरू हुआ?

वर्ष 1966

दीनदयाल बंदरगाह का पूर्व में क्या नाम था?

कांडला बंदरगाह

इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

You may also like...

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *