केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विश्व के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र ‘सियाचिन’ का दौरा किया
सियाचिन, विश्व का सबसे ऊँचा युद्धक्षेत्र है, जिसका केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज ही दौरा किया। रक्षा मंत्री ने यह दौरा सुरक्षा स्थिति का प्रत्यक्ष आकलन करने के लिए किया है।
रक्षा मंत्री का सियाचिन का दौरा
- केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सियाचिन के दौरे पर उनके साथ थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, उत्तरी कमान लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार और जनरल ऑफिसर कमांडिंग, 14 कोर लेफ्टिनेंट जनरल रशिम बाली भी थीं।
- केंद्रीय मंत्री सिंह ने विपरीत मौसम और दुर्गम क्षेत्र की परिस्थितियों में तैनात सैनिकों से भी बातचीत की।
- एरियल सर्वेक्षण के बाद वे 15,100 फीट की ऊंचाई पर एक अग्रिम चौकी पर गए। वहां उन्होंने सियाचिन ग्लेशियर में परिचालन तैयारी और वर्तमान सुरक्षा स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की।
- सिंह ने जमीनी स्तर पर कमांडरों के साथ परिचालन चुनौतियों से जुड़े पहलुओं पर भी विचार-विर्मश किया।
सैनिकों को संबोधन
मंत्री राजनाथ सिंह ने सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा कि विषम परिस्थितियों में वीरता और दृढ़ संकल्प के साथ मातृभूमि की रक्षा के पुण्य पथ पर उनका चलना प्रशंसनीय है। यह राष्ट्र हमेशा सशस्त्र बल कर्मियों के बलिदान का ऋणी रहेगा, क्योंकि उनके कारण आज के समय में हर नागरिक सुरक्षित महसूस करता है। सिंह ने कहा कि “हम शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं, क्योंकि हम आश्वस्त हैं कि हमारे बहादुर सैनिक सीमाओं पर दृढ़ता से खड़े हैं। आने वाले समय में जब राष्ट्रीय सुरक्षा का इतिहास लिखा जाएगा, तो बर्फीले ठंडे ग्लेशियर में हमारे सैनिकों की वीरता और दृढ़ इच्छाशक्ति के कामों को गर्व के साथ याद किया जाएगा। यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणादायक रहेगी।”
रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि सियाचिन कोई आम जगह नहीं है, यह भारत की संप्रभुता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि जैसे दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी है, मुंबई वित्तीय राजधानी है, बेंगलुरु प्रौद्योगिकी राजधानी है, उसी तरह सियाचिन साहस, दृढ़ निश्चय और संकल्प की राजधानी है।
सियाचिन हिमनद के बारे में
- यह हिमालय की पूर्वी काराकोरम पर्वतमाला में भारत-पाक नियंत्रण रेखा के पास स्थित एक हिमानी (ग्लेशियर) है।
- यह काराकोरम की पांच बड़े हिमानियों में सबसे बड़ा और ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर विश्व की दूसरी सबसे बड़ा ग्लेशियर है।
- नामार्थ: बलती भाषा में “सिया” का अर्थ एक प्रकार का जंगली गुलाब है और “चुन” का अर्थ “बहुतायत”। इस प्रकार “सियाचिन” नाम का अर्थ “गुलाबों की भरमार” है।
- ऊँचाई: समुद्रतल से इंदिरा कोल पर लगभग 5,753 मीटर और अंतिम छोर पर 3,620 मीटर।
- भारत का नियंत्रण: 1984 से सियाचिन ग्लेशियर पर भारत का नियंत्रण रहा है।
- विवाद: सियाचिन हिमनद को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच आज भी विवाद जारी है। भारत इसे अपने लद्दाख़ राज्य लेह ज़िले के अधीन प्रशासित करता है।
FAQs
श्री राजनाथ सिंह
काराकोरम पर्वतमाला
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