जम्मू और कश्मीर के त्यौहार
इस लेख के माध्यम से हम जम्मू और कश्मीर में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों के बारे में जानेंगे:
जम्मू और कश्मीर के त्यौहार
कश्मीर घाटी में लोकप्रिय त्यौहार
केसर महोत्सव
- केसर महोत्सव जम्मू-कश्मीर का एक प्रमुख उत्सव है जो केवल जम्मू कश्मीर घाटी में मनाया जाता है।
- केसर महोत्सव प्रतिवर्ष अप्रैल-मई के महीनों में केसर की फसल की कटाई के दौरान मनाया जाता है।
- जम्मू और कश्मीर भारत का एकमात्र राज्य है जो सबसे अच्छी गुणवत्ता वाला केसर पैदा करता है।
- इसकी कोई निश्चित तारीख नहीं होती, बल्कि फूलों की पराग संयोजन की स्थिति के आधार पर इसका समय तय किया जाता है।
- इस उत्सव के दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और परंपरागत नृत्य-संगीत के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- केसर उत्पादन न केवल एक महत्वपूर्ण व्यापार है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर की सांस्कृतिक धरोहर का भी हिस्सा है। यहां के लोगों का जीवन केसर की खेती से गहरे तौर पर जुड़ा हुआ है। इसलिए इस उत्सव में उनकी संस्कृति और परंपराओं को मनाया जाता है।
शिकारा महोत्सव
- शिकारा महोत्सव कश्मीर घाटी में आयोजित होने वाला एक प्रमुख त्योहार है।
- यह डल झील में शिकारों (नौकाओं) पर मनाया जाता है।
- यह महोत्सव वर्ष 2016 में शुरू किया गया था।
- जम्मू-कश्मीर की झीलों में पाई जाने वाली लकड़ी की नावों को शिकारा के नाम से जाना जाता है।
- शिकारों पर आधारित विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे नाव दौड़, मछली पकड़ना आदि होती हैं।
- वर्ष में एक बार, शिकारा उत्सव के दौरान, शिकारे डल झील में दौड़ के लिए कतार में खड़े होते हैं।
- शिकारा दौड़ के अलावा, क्षेत्र में अन्य नाव दौड़ में कैनो पोलो और ड्रैगन बोट रेस शामिल हैं।
- कश्मीरी लोक नृत्य और संगीत के प्रदर्शन होते हैं।
- यह त्योहार पारंपरिक कश्मीरी संस्कृति और जीवन शैली को दर्शाता है। साथ ही यह पर्यटकों के लिए भी एक बड़ा आकर्षण है।
गुरेज़ महोत्सव
- गुरेज महोत्सव कश्मीर की गुरेज़ घाटी का एक प्रमुख सांस्कृतिक उत्सव है।
- गुरेज़ की घाटी कश्मीर के उत्तरी क्षेत्र में स्थित है।
- पर्यटन विभाग ने क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ गुरेज़ महोत्सव की शुरुआत की। यह दो दिवसीय उत्सव है जो स्थानीय व्यंजनों, हस्तशिल्प, खेल और इस कम प्रसिद्ध घाटी की समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित करता है।
- गुरेज महोत्सव प्रत्येक वर्ष जून-जुलाई के महीनों में सूर्य परिवर्तन के अवसर पर मनाया जाता है।
- इस महोत्सव की उत्पत्ति बहुत पुरानी है और इसकी जड़ें कश्मीरी संस्कृति में गहराई से समाहित हैं। इसे लोग कृषि आरंभ का प्रतीक मानते हैं। कहा जाता है कि इस अवसर पर कश्मीर में सूर्य का रास्ता बदलता है।
- इस उत्सव का आध्यात्मिक महत्व भी है। लोग मंदिरों में भगवान सूर्य की पूजा करते हैं और शुभकामनाएं मांगते हैं।
जम्मू क्षेत्र में लोकप्रिय त्यौहार
ट्यूलिप महोत्सव
- यह महोत्सव कश्मीर में वसंत ऋतु के दौरान आयोजित किया जाता है।
- यह एक लोकप्रियन उत्सव है।
- यह उद्यान ट्यूलिप महोत्सव का आयोजन करता है।
- ट्यूलिप उद्यान के बारे में
- कश्मीर में ट्यूलिप उद्यान है, जिनमें श्रीनगर में स्थित इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन भी सम्मिलित है।
- उद्यान में ट्यूलिप की 65 से अधिक किस्में पाई जाती हैं
- कश्मीर में ट्यूलिप सबसे बड़ा उद्यान है।
हेमिस महोत्सव
- लद्दाख में मनाया जाने वाला एक प्रमुख धार्मिक उत्सव है।
- हेमिस महोत्सव प्रतिवर्ष लद्दाख में जून-जुलाई के महीनों की शुरुआत में मनाया जाता है।
- लेह शहर में स्थित, हेमिस गोम्पा (मठ) हेमिस महोत्सव मनाता है, जो यह दो दिवसीय भव्य सांस्कृतिक उत्सव गुरु पद्मसंभव के जन्मदिन पर मनाया जाता है, जिसे गुरु रिनपोछे भी कहा जाता है।
- यह महोत्सव लद्दाखी बौद्ध संस्कृति से जुड़ा हुआ है और इसका उद्गम बहुत पुराने समय से माना जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य शांति, समृद्धि और खुशहाली के लिए प्रार्थना करना है।
- हेमिस महोत्सव के दौरान लद्दाखी लोग अपने परंपरागत वस्त्र पहनते हैं और लामा नृत्य, मुखौटा नृत्य जैसे विशेष नृत्य किए जाते हैं। गोंपा (बौद्ध मठ) में विशेष पूजा-अर्चना होती है।
- लामास द्वारा किया जाने वाला मुखौटा नृत्य हेमिस महोत्सव का मुख्य आकर्षण होता है।
गुरु पद्मसंभव
- इन्होने हिमालयी राज्य में तांत्रिक बौद्ध धर्म की शुरुआत की।
- ये एक शक्तिशाली आध्यात्मिक नेता, कहा जाता है कि उन्होंने राक्षसों और बुरी आत्माओं को स्थानीय लोगों को उनकी नकारात्मक कैद से बचाया।
- उन्होंने तिब्बत में बौद्ध धर्म के प्रसार में प्रमुख भूमिका निभाई।
तवी महोत्सव
- यह महोत्सव जम्मू और कश्मीर क्षेत्र की कला, संस्कृति और विरासत को दर्शाता करता है।
- इस महोत्सव में जम्मू क्षेत्र के विविध कला रूपों और सांस्कृतिक खजाने को उजागर करने पर केंद्रित होता है।
- इस में युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ अपने विचार साझा करने का अवसर मिलता है ।
- महोत्सव में सेमिनार, कार्यशालाएं, लोक संगीत प्रदर्शन, नुक्कड़ थिएटर और शास्त्रीय और लोक नृत्य जैसी विभिन्न गतिविधियां प्रदर्शित की जाती है।
बैसाखी
- बैसाखी हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने की पूर्णिमा (अप्रैल-मई) को मनाई जाती है। यह दिन नए साल का प्रतीक भी है।
- बैसाखी फसल का त्योहार है जो जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ पूरे उत्तर भारत में मनाया जाता है।
- यह त्योहार कृषि और फसल काटने के उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन गेहूं की फसल काटी जाती है और नई फसल के आगमन पर खुशी मनाई जाती है।
- सिख धर्म में बैसाखी का विशेष महत्व है क्योंकि इसी दिन वर्ष 1699 में दसवें गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
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