भारत की पहली घरेलू जीन थेरेपी
हाल ही में, राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे में कैंसर उपचार के लिए भारत की पहली घरेलू जीन थेरेपी का शुभारंभ किया है।
भारत की पहली घरेलू जीन थेरेपी (सीएआर-टी सेल थेरेपी) के बारे में
- भारत की पहली सीएआर-टी सेल थेरेपी उद्योग भागीदार इम्यूनोएसीटी के सहयोग से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे और टाटा मेमोरियल अस्पताल के समन्वय से विकसित की गई है।
- कैंसर उपचार की इस श्रृंखला का नाम “सीएआर-टी सेल थेरेपी” है, जो कैंसर इम्यूनोथेरेपी उपचार है।
- यह दुनिया की सुलभ और सस्ती सीएआर-टी सेल थेरेपी है।
- सीएआर-टी सेल थेरेपी को चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति में से एक माना जाता है।
- सीएआर-टी सेल थेरेपी के विकास में न केवल प्रौद्योगिकी को मानवता की सेवा में लगाया जा रहा है, बल्कि उद्योग के साथ-साथ दूसरे क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित संस्थान के साथ भी साझेदारी की गई है।
- यह आईआईटी, बॉम्बे द्वारा पिछले तीन दशकों में अनुसंधान और विकास पर दिए गए फोकस से संभव हुआ है।
सीएआर-टी (Chimeric Antigen Receptor T-cell) सेल थेरेपी
- यह एक नवीन और उभरती हुई कैंसर उपचार प्रणाली है।
- यह कोशिकाधारित थेरेपी है जिसमें रोगी के अपने टी कोशिकाओं (एक प्रकार के सफेद रक्त कणों) को संशोधित किया जाता है।
- कार्य प्रणाली: इस थेरेपी में रोगी की टी कोशिकाओं को प्रयोगशाला में संशोधित किया जाता है ताकि वे कैंसर कोशिकाओं को पहचान और नष्ट कर सकें।
- उपयोग: यह प्रमुख रूप से ब्लड कैंसरों जैसे लिम्फोमा और लेुकेमिया के उपचार में उपयोग किया जाता है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (IIT बॉम्बे)
- स्थापना- वर्ष 1958
- IIT बॉम्बे की शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका है और यह भारत के प्रमुख तकनीकी संस्थानों में से एक माना जाता है।
मुख्य विशेषताएं
- प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी सूचना और कंप्यूटर विज्ञान कार्यक्रमों की पेशकश करता है।
- गुणवत्ता और उत्कृष्टता में अग्रणी है, जिसे दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है।
- उत्कृष्ट अनुसंधान और विकास का केंद्र है, जो कई क्षेत्रों में अग्रणी है।
- कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर के छात्रों और शोधकर्ताओं को आकर्षित करता है।
- भारत के उद्योग और समाज के लिए योगदान देता है।
भारत की पहली घरेलू जीन थेरेपी किनके द्वारा विकसित की गई है?
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे और टाटा मेमोरियल अस्पताल द्वारा।
इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।