भारत छोड़ो आंदोलन दिवस 2022
भारत छोड़ो आंदोलन दिवस प्रतिवर्ष 8 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिवस भारत छोड़ो आंदोलन को चिह्नित करता है। यह दिवस राष्ट्रीय एकता भाषण कार्यक्रमों के साथ स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देकर मनाया जाता है।
आंदोलन के बारे में:
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने दिनांक 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन/अगस्त आंदोलन/अगस्त क्रांति शुरू किया था। गांधी ने इसी आंदोलन के समय ‘करो या मरो’ नारे का आह्वान किया था। इस आंदोलन का प्रस्ताव महात्मा गांधी ने विश्व युद्ध के दौरान अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बॉम्बे अधिवेशन में पारित किया था। स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए यह भारतीय लोगों का तीसरा महान जन संघर्ष था। स्वतंत्रता संग्राम के आन्दोलनों में इसे भी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इसमें आम जनता ने भी भाग लिया था।
अखंड भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने के लिए यह विरोध गोवालिया टैंक मैदान, बॉम्बे से शुरू हुआ था। इस संकल्प ने भारत की आजादी के लिए व्यापक संभव पैमाने पर अहिंसक तर्ज पर जन संघर्ष शुरू करने को स्वीकृति प्रदान कर दी। महात्मा गाँधी ने प्रस्ताव पारित होने के बाद देश की जनता को संबोधित करते हुए एक भाषण दिया। गांधी ने अपने इस भाषण में लोगों को ‘करो या मरो’ का मंत्र दिया। राष्ट्रपिता ने देश के नागरिकों से इस मंत्र को देते हुए कहा कि या तो हम आजाद हो जाएंगे या इसकी कोशिश में मर जाएंगे।
गांधी द्वारा दिया गया ‘करो या मरो’ और ‘अंग्रेजो भारत छोड़ों’ के नारे इस लड़ाई का मुख्य हिसा बन गए। ‘भारत छोडो’ का नारा भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के अग्रणी नेता यूसुफ मेहर अली ने दिया था।
भारत छोड़ो आंदोलन दिवस: स्वतंत्रता प्राप्ति का प्रभाव
इस जन आंदोलन के सहयोग से आखिरकार दिनांक 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली लेकिन राष्ट्र विभाजन की शर्त पर। वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने ब्रिटिश भारत को पाकिस्तान और हिन्दुस्तान में विभाजित करने की शर्त पर आजाद करने की बात रखी। इस अकल्पनीय कीमत पर स्वतंत्रता प्राप्ति को ले कर महात्मा गांधी बेहद हताश हुए। उन्होंने राजधानी और देश में हो रहे आजादी के किसी भी उत्सव में भाग नहीं लिया और 24 घंटे का उपवास किया। आजादी के बाद संविधान सभा के अध्यक्ष ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मोहनदास करमचंद गाँधी को राष्ट्रपिता की उपाधि दी।
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