राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2022: IIT BHU ने बनाया एर्गोनॉमिक करघा
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT BHU) स्थित मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने एक स्पेशल करघा बनाया है। टीम ने हथकरघा बुनकरों के लिए इस करघा को एर्गोनॉमिक रूप से डिज़ाइन किया है। इस करघे पर देर तक काम करने पर भी मांसपेशियों में दर्द नहीं होगा। इसकी मदद से बुनकरों को लंबे वक्त तक बैठ कर काम करने में सहायता होंगी। यह एर्गोनॉमिक करघा बुनकरों को लंबी अवधि तक बैठ कर काम करने से होने वाली मस्कुलोस्केलेटल विकारों से भी निजात दिलाएगा। IIT BHU ने यह एर्गोनॉमिक करघा राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2022 के अवसर पर विकसित किया है।
महत्व:
IIT BHU के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. प्रभास भारद्वाज ने बताया कि हथकरघा बुनकर एक जगह पर बैठकर रोजाना 8-12 घंटे काम करते हैं। इस कारण बुनकरों को मस्कुलोस्केलेटल दर्द के लक्षणों का सामना करना पड़ता है। एर्गोनॉमिक करघा के उपयोग से मस्कुलोस्केलेटल दर्द से मुक्ति मिलेगी। बुनकरों को ले कर वाराणसी में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार अधिकांश लोगों को पीठ के निचले हिस्से, जांघ, पैर, टखने और गर्दन में दर्द से परेशानी है। बुनकरों में दर्द की यह समस्या करघों के मौजूदा डिजाइन के कारण होती है। ।
एर्गोनॉमिक करघा की डिज़ाइन:
- नए डिजाइन वाले करघे में फुट पेडल से जेकक्वार्ड तक बिजली का यांत्रिक संचरण रोलर्स और रस्सियों के उचित स्थान की मदद से किया जाता है।
- पुराने करघे की सीट फ्रेम से जुड़ी होती थी इसलिए महिला बुनकरों के लिए करघे से बाहर निकलना मुश्किल होता था। लेकिन अब नए करघे में सीट को एर्गोनॉमिक रूप से डिज़ाइन किया गया है।
- इसमें खोलने और बंद करने का विकल्प दिया गया है जिससे महिला बुनकर आसानी से करघे के अंदर प्रवेश कर सकती है।
- नए करघे में बांस स्टिक फुट पैडल की जगह ठोस लकड़ी के पैडल का उपयोग किया गया है। इससे पैरों पर तनाव समान रूप से वितरित होता है।
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